शहीद कहलाए १७ जवान
पर क्यों मरे ऐसे कोई इंसान
मरना चाहा था देश के नाम
कायरों के कारण गया प्राण
अब बहेंगे आसू क्रोध के
वादे होंगे प्रतिशोध के
पर कृति बिना होगी बात
क्योंकि अपने ही थे साथ
अपने गद्दारों के लंबे हाथ
बडे बडे है उनके साथ
कम होता है जवान का मोल
जब तक झुठ का ही हो बोल
घर के भेदी का हौसला बढ़े
कोई नही उनके पीछे पड़े
जवान ऐसी मौत मरते रहे
जवान ऐसी मौत मरते रहे
प्रविण सबनीस
१९ सप्टेंबर २०१६
पर क्यों मरे ऐसे कोई इंसान
मरना चाहा था देश के नाम
कायरों के कारण गया प्राण
अब बहेंगे आसू क्रोध के
वादे होंगे प्रतिशोध के
पर कृति बिना होगी बात
क्योंकि अपने ही थे साथ
अपने गद्दारों के लंबे हाथ
बडे बडे है उनके साथ
कम होता है जवान का मोल
जब तक झुठ का ही हो बोल
घर के भेदी का हौसला बढ़े
कोई नही उनके पीछे पड़े
जवान ऐसी मौत मरते रहे
जवान ऐसी मौत मरते रहे
प्रविण सबनीस
१९ सप्टेंबर २०१६
No comments:
Post a Comment